तेरा वचन मेरे पांव के लिये दीपक , और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है। भजन संहिता 119:105
पाप की दुर्गंध (Sin Stinks)
जब मैं एक लडका था तो हमारा परिवार पश्चिमी टेक्सॉस के एक छोटे तेल के शहर में रहने गया जहां तेल की दुर्गंध सडे अण्डो जैसी थी। तेल के कुओं के कारण मिलों दूर से हमें यह दुर्गंध आ गयी थी।
जब हम पहली बार वहां पहुंचे तो दुर्गंध इतनी तेज थी कि हमारी भूख पूरी तरह खत्म हो गयी। तो भी कुछ समय बाद हमारी नाकों को इसकी आदत हो गयी और फिर हमें इससे कोई समस्या नही हुयी। फिर कुछ समय के लिए हम उस शहर से बार गये और जब वापस आये तो फिर से हमें इस दुर्गंध की आदत बनानी पडी। पाप भी कुछ इसी प्रकार है। शुरू में पाप से बहुत ही दुर्गंध आती है लेकिन कुछ समय इसमें रहने पर हमें इसकी आदत हो जाती है और हमें इसकी इतनी आदत हो जाती है कि हमें इसका प्रभाव महसूस नही होता और हमें कोई समस्या नही होती है।
शपथ लेना एक अच्छा उदाहरण है। शरणार्थी का जीवन जीने वाली कुछ अच्छी बुजुर्ग बहनों के सामने यदि कोई प्रभु का नाम व्यर्थ में लेता है तो वे भयचकित हो सकती है, लेकिन जिन्हें इस संसार में कार्य करना है उन्हें यह सुनने की इतनी आदत हो जाती है कि इससे उनको कोई आघात नही पहुंचता।
लेकिन तो भी शपथ के विषय में परमेश्वर की राय नही बदली है। हमें लैव्यव्यवस्था में वर्णित वह घटना याद है जब एक युवक का झगडा एक इस्राएली पुरूष से होता है और वह युवक "यहोवा के नाम की निन्दा करके शाप देता है" जो लोग इस बात के गवाह थे वे उस युवक को मूसा के पास ले गये। ऐसा लगता है कि उनमें से कोई नही जानता था कि क्या करें इसलिए उन्होंने युवक को हवालात में बंद किया, जिससे यहोवा की आज्ञा से इस बात पर विचवार किया जाए। तब यहोवा ने मूसा से कहा, "तुम लोग उस शाप देने वाले को छावनी से बाहर लिवा ले जाओ; और जितनों ने वह निन्दा सुनी हो वे सब अपने अपने हाथ उसक सिर पर टेकें, तब सारी मण्डली के लोग उसको पत्थरवाह करें।" कि मनुष्य फिर शपथ ना ले।
अब प्रश्न यह है कि क्या उस समय के बाद परमेश्वर ने शाप देने के विषय में अपनी आज्ञा को बदल दिया? हम जानते है कि ऐसा नही है क्योंकि मलाकी हमें बताता है कि, "क्योंकि मैं यहोवा बदलता नही।"
क्या होगा यदि वे सभी मनुष्य जिन्होंने कभी शपथ ली हो अचानक मर जाये? सडकों पर भीड नही होगी, बाजारों में कोई नही होगा और सब तरफ सुनसान हो जायेगा। क्योंकि सभी ने कभी न कभी शपथ ली है, और परमेश्वर की सन्तान होने के कारण, हम सावधान थे कि इस भयंकर पाप के दोषी नही हुए। इस क्षमा के लिए हम कितने धन्यवादित है क्योंकि "हे याह, यदि तू अधर्म के कामों का लेखा ले, तो हे प्रभु कौन खडा रह सकेगा? परन्तु तू क्षमा करने वाला है, जिससे तेरा भय माना जाए।"
लूत के विषय में हम कह सकते है कि यद्यपि सदोम और अमोराह में वह प्रतिदिन पापीयों की संगति में रहा लेकिन तो भी उसको इसकी आदत नही हुयी। पतरस कहता है कि परमेश्वर ने, "धर्मी लूत को जो अधर्मियों के अशुद्ध चाल चलन से बहुत दुखी था, छुटकारा दिया। क्योंकि वह धर्मी उन के बीच में रहते हुए और उन के अधर्म के कामों को देख देखकर और सुन सुनकर, हर दिन अपने सच्चे मन को पीडित करता था।"
अपने चारों ओर रहने वाले लोगों की इस अधार्मिक भाषा की अस्वीकृति की ओर हमें अपना दृष्टिकोण बनाने की जरूरत है। यह सही है कि हम इतने बुद्धिमान है कि जब भी सम्भव हो हम अपने आप को बुरी संगति से बचाते है, लेकिन फिर भी हमारा कार्य ऐसा हो सकता है कि हम अधार्मिक बातचीत को सुनने से नही बच सकते है। हमें अपने आप को पाप की इस दुर्गंध से बचाना है, और अपने शरीर को इसकी आदत नही होने देनी है ताकि हम इससे लापरवाह ना हो बल्कि पाप की यह दुर्गंध हमें हमेशा दुर्गंध ही लगनी चाहिए।
हम भी लूत के समान जब इस संसार से घिरे हो तो "अधर्मियों के चाल चलन से दुखी हो" और जैसा लूत ने नही किया, हम अपने तम्बू को इस संसार से जितना दूर हो सके लगाये, ताकि हम और हमारा परिवार परमेश्वर के भय के साथ उद्धार पाये और इन शारीरिक कामों से घृणा करें।
‘पाप की दुर्गंध’ (Sin Stinks) is taken from ‘Minute Meditations’ by Robert J. Lloyd
परमेश्वर की आत्मा
(The Spirit of God)
परमेश्वर की सामर्थ के द्वारा ही इस सृष्टि का निर्माण हुआ। इसके बिना हम मर जायेंगे। यह हर जगह उपस्थित है। इसकी प्रेरणा से बाईबल लिखी गयी, चमत्कार हुए, भविष्यवाणियां हुयी, साधारण लोगों को असाधारण काम करने की शक्ति मिली। इसका वर्णन बोलने के रूप में, दुखी होने के द्वारा, और दिखाई देने के रूप में किया गया। परमेश्वर की आत्मा अन्य बहुत सी चीजें करती है, इसमें कोई सन्देह नही कि लोग इसको समझ नही पाते है कि यह क्या है।
मुख्य पद: भजन सहिंता 139
इस भजन में दाऊद परमेश्वर की सामर्थ पर आश्चर्य प्रकट करता है कि किस प्रकार परमेश्वर ने उसे बनाया और परमेश्वर उसके विचारों और कार्यो को पहले ही से जानता है, और किस प्रकार परमेश्वर हर जगह उपिस्थित रहता है। ये सब बातें परमेश्वर की आत्मा के द्वारा ही है। अपनी आत्मा के द्वारा ही परमेश्वर जीवन देता है और उसे बनाये रखता है, वह जानता है कि हम क्या सोच रहे है और क्या कर रहे है, वह भविष्य को जानता है, हम जहां भी जाते है वह हमारे साथ रहता है।
- इस भजन में 'आत्मा' शब्द केवल एक बार आया है। लेकिन आत्मा के कार्यो के विषय में यह अनेको बार बताता है। इस भजन में वर्णित आत्मा के कार्यो की एक सूचि बनाइये?
- पद 1 "हे यहोवा, तू ने मुझे जांच कर जान लिया है", से दाऊद का क्या अर्थ है? क्या परमेश्वर हमें भी जाचंता और जानता है? पद 23 में दाऊद फिर से परमेश्वर को उसे जांचने और जानने के लिए क्यों कहता है?
- पद 8 में जब दाऊद कहता है कि, "आकाश पर चढूं" या "अपना बिछौना अधोलोक में बिछाऊ" तो इन बातों से दाऊद का क्या अर्थ है?
परमेश्वर की आत्मा क्या है?
आगे पढने से पहले, परमेश्वर की आत्मा के विषय में अपने कुछ विचार लिखिए। इनकी तुलना दूसरे लोगों के जवाबों के साथ करो और जहां आपके जवाब उनसे भिन्न है वहां विचार विमर्श कीजिए। आगे पढने के बाद यदि आप अपनी परिभाषा को बदलते है या उसका विस्तार करते है तो उसे समझने का प्रयास करें।
परिभाषाऐं
- पुराने नियम में वर्णित “आत्मा” शब्द, मूल इब्रानी भाषा के शब्द “रूआक” का अनुवाद है। आत्मा के अतिरिक्त मूल भाषा के इसी इब्रानी शब्द “रूआक” का अनुवाद मन, हवा, स्वांस, हद्धय और भावनायें आदि भी किया गया है।
- नये नियम में यदि हम देखें तो यहां वर्णित “आत्मा” शब्द, मूल यूनानी भाषा के शब्द “न्यूमा” का अनुवाद है। आत्मा के अतिरिक्त नये नियम में मूल भाषा के इसी यूनानी शब्द “रूआक” का अनुवाद श्वांस, दृष्टिकोण, हद्धय और मन आदि भी किया गया है।
- बाईबल में वर्णित आत्मा कभी-कभी किसी आदमी या स्त्री की आत्मा के लिए भी प्रयोग हुआ हे (जैसे उनका दृष्टिकोण या स्वभाव)। लेकिन अधिकांश इसका अर्थ परमेश्वर की आत्मा है। जिस सन्दर्भ में यह प्रयोग होता है उसको समझकर ही हम इसके अर्थ को निर्धारित कर सकते है।
परमेश्वर की सामर्थ
मुख्य रूप से आत्मा परमेश्वर की सामर्थ है। यह वही सामर्थ है जिसके द्वारा उसने दुनिया को बनाया, और जिसके द्वारा वह जीवन को चलाता है। परमेश्वर द्वारा बनाये गये जानवरों के विशाल सग्रंह के विषय में बाईबल कहती है,
"तू मुंह फेर लेता है और वे घबरा जाते है, तू उनकी साँस ले लेता है और उनके प्राण छूट जाते है और मिट्टी में फिर मिल जाते है। फिर तू अपनी ओर से साँस भेजता है, और वे सिरजे जाते है; और तू धरती को नया कर देता है।" (भजन सहिंता 104:29-30)
अय्यूब 33:4 में लिखा है कि, “मुझे परमेश्वर के आत्मा ने बनाया है,” अय्यूब और भजन संहिता के इन दोनों पदों में मूल भाषा के एक ही इब्रानी शब्द “रूआक” का अनुवाद एक जगह “सांस” और एक जगह “आत्मा” किया गया है। अत: स्पष्ट है कि “सांस” और “आत्मा” एक ही शब्द के अलग-अलग अनुवाद है। परमेश्वर अपनी आत्मा के द्धारा सृष्टि करता है और यह हर एक जीवित प्राणी को जीवन का श्वांस देता है।
परमेश्वर अपनी आत्मा के द्वारा इस सृष्टि को बनाता है और सभी जीवित प्राणियों को जीवन देता है। जब परमेश्वर किसी जीवित प्राणी से अपनी आत्मा ले लेता है तो यह मर जाता है।
परमेश्वर ने अपनी सामर्थ के द्वारा ही भविष्यद्वक्ताओं को प्रेरित किया। आत्मा के मार्गदर्शन के द्वारा ही उन्होंने बाईबल को लिखा-
"क्योंकि कोई भी भविष्यवाणी मनुष्य की इच्छा से कभी नही हुई पर भक्त जन पवित्र आत्मा के द्वारा उभारे जाकर परमेश्वर की ओर से बोलते थे।" (2 पतरस 1:21)
पौलुस लिखता है कि, "हर एक पवित्र शास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है।" बाईबल में परमेश्वर के शब्द है जो उसके भविष्यद्वक्ताओं ने उसकी आत्मा से प्रेरित होकर लिखे। "परमेश्वर की प्रेरणा" उसी यूनानी शब्द का अनुवाद है जो आत्मा के लिए प्रयोग हुआ है।
चमत्कार परमेश्वर की आत्मा के कार्य का दूसरा प्रमाण है। प्रभु यीशु मसीह को आत्मा की सामर्थ दी गयी जिसके द्वारा उन्होंने बडे-बडे चमत्कार किये और यहां तक कि मृतकों को भी जीवित किया, बीमारो को अच्छा किया, दूसरों के विचारों को जाना, पानी पर चलें और अन्य बहुत से चमत्कार किये। पहली शताब्दी के विश्वासियों को भी आत्मा का दान मिला जिसके द्वारा उन्होंने बहुत से आश्चर्यजनक कार्य किये जिनसे उनको विश्वासियों की कलिसिया बनाने में सहायता मिली।
परमेश्वर की उपस्थिति
परमेश्वर की उपस्थिति के वर्णन के लिए भी आत्मा का प्रयोग हुआ। दाऊद ने लिखा, "मैं तेरी आत्मा से भागकर किधर जाऊं? वा तेरे सामने से किधर भागूं? यदि मैं आकाश पर चढूं, तो तू वहां है! यदि मैं अपना बिछौना अधोलोक में बिछाऊ तो वहां भी तू है!" (भजन सहिंता 139:7-8)
ठीक इसी प्रकार पौलुस ने कहा कि "परमेश्वर का आत्मा हम में वास करता है" (जैसे रोमियों 8:11; 1 कुरिन्थियों 3:16) अपनी आत्मा के द्वारा परमेश्वर हमेशा हमारे साथ रहता है; अपनी सामर्थ से वह जानता है कि हम कहां है और हम क्या कर रहे है और वह हमारी सहायता कर सकता है।
परमेश्वर का एक नाम
किसी व्यक्ति की आत्मा उसका चरित्र या व्यक्तित्व, उसका अस्तित्व, उसका मन होती है। कभी-कभी परमेश्वर की आत्मा को भी इसी प्रकार प्रयोग किया गया है। उदाहरण के लिए देखें, यशायाह 63:10 कहता है कि इस्राएल के लोगों ने "बलवा किया और उसकी पवित्र आत्मा को खेदित किया" हमें भी परमेश्वर की पवित्र आत्मा को खेदित ना करने की चेतावनी दी गयी है। दूसरे शब्दों में, हमें अपने पापों के द्वारा परमेश्वर को दुखी नही करना चाहिए। (इफिसियों 4:30)
बाईबल में आत्मा के विभिन्न नाम है, लेकिन सभी एक ही चीज के लिए प्रयोग हुए है। उदाहरण के लिए यदि देखें तो चारों सुसमाचार के लेखक यीशु के बपतिस्में का वर्णन करते है (मत्ति 3:16; मरकुस 1:10; लूका 3:22; यूहन्ना 1:32), लेकिन उन्होंने इसे अलग-अलग तरीके से प्रस्तुत किया है। मत्ति इसे परमेश्वर की आत्मा कहता है, मरकुस और यूहन्ना इसे आत्मा कहते है। यह देखकर लगता है कि आत्मा, पवित्र आत्मा और अन्य दूसरे नामों में कोई अन्तर नही है यह एक ही चीज हें जिसको अलग-अलग नाम से कहा गया है। ऐसे और भी बहुत से उदाहरण है जहां इन नामों को परस्पर बदला गया है। यदि आप उनमें से कुछ बाईबल में खोज सकते है तो देखें।
कुछ दूसरी जगहो पर 'आत्मा' या 'पवित्र आत्मा' का अर्थ स्वंय परमेश्वर से है। उदाहरण के लिए पतरस ने हनन्याह से कहा, "शैतान ने तेरे मन में यह बात क्यों डाली है कि तू पवित्र आत्मा से झूठ बोले" (प्रेरितों के काम 5:3) अगले पद में वह कहता है कि "तू मनुष्यों से नहीं, परन्तु परमेश्वर से झूठ बोला।" कुछ अन्य सम्बन्धित पद प्रेरितों के काम 8:29; 13:2; 1 कुरिन्थियों 12:11; 2 कुरिन्थियों 3:17 है।
यह समझना बहुत ही महत्वपूर्ण है कि बाईबल कभी भी पवित्र आत्मा को परमेश्वर से अलग नही बताती है। जब यह किसी व्यक्ति की ओर संकेत करती है तो इसका अर्थ स्वंय परमेश्वर है।
आत्मा के नाम
परमेश्वर की आत्मा | उत्पत्ति 1:2; न्यायियों 3:10; 2 शमूएल 23:2; मत्ति 3:16; प्रेरितों के काम 2:17; 5:9; रोमियों 8:9,14; 1 कुरिन्थियों 2:10 |
आत्मा | गिनती 11:17; यशायाह 32:15; यहेजकेल 2:2; मत्ति 4:1; मरकुस 1:10; लूका 2:27; यूहन्ना 1:32; प्रेरितों के काम 8:29; रोमियों 8:4-6; गलतियों 3:2; इफिसियों 5:18 |
तुम्हारी आत्मा | नहेम्याह 9:30; भजन सहिंता 139:7 |
पवित्र आत्मा | भजन सहिंता 51:11; यशायाह 63:10-11; मत्ति 1:18,20; 3:11; 12:32; मरकुस 1:8; 12:36; लूका 1:15,35; 3:22; प्रेरितों के काम 1:16; 4:8,25,31; 5:3,32; 8:18; रोमियों 5:5; इफिसियों 1:13 |
परमेश्वर के पवित्र आत्मा | इफिसियों 4:30 |
मसीह का आत्मा | रोमियों 8:9; 1 पतरस 1:11 |
सहायक | यूहन्ना 14:26; 15:26; 16:7 |
सारांश
'आत्मा' और इसके विभिन्न नामों को बाईबल में अलग-अलग तरह से प्रयोग किया गया है। यह परमेश्वर की सामर्थ है जिसके द्वारा परमेश्वर चमत्कार करता है, अपनी सृष्टि को चलाता है, जिसकी प्रेरणा से बाईबल लिखी गयी और जो हर जगह विद्यमान है। लेकिन यह इन सब से भी कही अधिक है। यह परमेश्वर का चरित्र और उसके विचार है।
आत्मा परमेश्वर से अलग कोई व्यक्ति नही है। न ही यह कोई ऐसी अलग सामर्थ है जिसका परमेश्वर उपयोग कर सकता है। यह स्वंय परमेश्वर है, उसका कार्य है, जिसके द्वारा वह अपने उद्देश्य को पूरा करता है।
विचारणीय पद
- क्या अब आप परमेश्वर की आत्मा के विषय में अपनी परिभाषा को बदलना चाहते है?
- यीशु के बपतिस्में के समय आत्मा दिखाई दी, "कबूतर की नाई उसके ऊपर उतरी।" दूसरी कौन सी घटनाऐं है जहां आत्मा दिखाई दी? यह कैसी दिखाई दी? आप क्या सोचते है कि क्यों परमेश्वर ने इन अवसरो पर आत्मा को दिखाई देने दिया?
अन्य खोज
- यूहन्ना 3:8 को पढे। यहां यह बात खोजिये कि हवा और आत्मा एक ही यूनानी शब्द के अनुवाद है। यीशु ने पुराने नियम के कुछ पदों को बताया जहां हवा की तुलना परमेश्वर की आत्मा से की गयी है। क्या आप इन पदों को ढूंढ सकते है?
- 'पवित्र आत्मा' नये नियम में बार-बार आया है लेकिन पुराने नियम में यह केवल तीन बार ही आया है। यह पुराने नियम के "परमेश्वर की आत्मा" के तुल्य है। नये नियम में पवित्र आत्मा के उडेले जाने का वर्णन पुराने नियम की भाविष्यवाणियों के पूरा होने के रूप में है जहां इसे परमेश्वर की आत्मा को उडेलना कहा गया है। प्रेरितों के काम के अध्याय 2 और लूका अध्याय 4 में दो उदाहरण है। क्या आप कुछ दूसरे उदाहरण बाईबल से खोज सकते है? क्यों पवित्र आत्मा नये नियम में बार बार आया है जबकि पुराने नियम में बहुत कम आया है?
‘परमेश्वर की आत्मा’ (The Spirit of God) is from ‘The Way of Life’, edited by Rob J. Hyndman
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