तेरा वचन मेरे पांव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है। भजन संहिता 119:105
लाईटहाऊस
The Lighthouse
नेवल इन्स्टीटयूट मैगजीन ने एक बार दो युद्धपोतो के विषय में एक बडी ही रूचिकर कहानी प्रकाशित की, ये युद्धपोत खराब मौसम में समुद्र में थे। कोहरे के कारण ठीक प्रकार से दिखाई नही दे रहा था, इसलिए कैप्टन सभी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए ब्रिज पर था।
शीघ्र ही अन्धेरा होने के बाद, पहरा देने वाले कक्ष से सूचना मिली कि, "जहाज के अगले भाग पर रोशनी है।" कैप्टन ने पूछा, "क्या यह रूकी है या पीछे की ओर जा चल रही है?" उत्तर आया कि, "रूकी है", जिसका अर्थ था कि वे उस जहाज के साथ खतरनाक टक्कर होने की दिशा में थे। कैप्टन ने आदेश दिया, "उस जहाज को सिग्नल दो: हम टक्कर होने की दिशा में है, इसलिए अपनी दिशा 20 डिग्री बदल दो।" वापिस सिग्नल मिला, "आपको सलाह दी जाती है कि आप अपनी दिशा 20 डिग्री बदल ले।"
कैप्टन ने कहा, "सन्देश भेजो: मैं कैप्टन हूँ, अपनी दिशा 20 डिग्री बदलो।" उत्तर मिला, "मैं द्वितीय श्रेणी का समुद्री कर्मचारी हूँ, आपके लिए यही अच्छा है कि आप अपनी दिशा 20 डिग्री बदले।" इस बात से कैप्टन को गुस्सा आ गया। उसने गुस्से से आदेश दिया, "मै एक युद्धपोत हूँ, अपनी दिशा 20 डिग्री बदलो।" उधर से जवाब मिला, "मैं लाईटहाऊस हूँ।"
प्रभु यीशु मसीह इस जगत की ज्योति है। उन्होनें कहा, "जगत की ज्योति मैं हूं; जो मेरे पीछे हो लेगा, वह अन्धकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पायेगा" हमें अपनी दिशा को जीवन की ज्योति के अनुसार निदेर्शित करने की आवश्यकता है।
आज अधिकांश लोग जहाज के इस कैप्टन के समान अपने स्वंय के बनाये मार्ग पर चलना चाहते है और वे चाहते है कि प्रभु यीशु मसीह उनके जीवन जीने के तरीके के अनुसार अपने आप को बदल लें। लाईटहाऊस की लाईट के समान ही मसीह और उनके मार्ग कभी न बदलने वाले है। इब्रानियों की पुस्तक का लेखक हमें बताता है कि ''यीशु मसीह कल और आज और युगानुयुग एक सा है।''
जो लोग अपनी दिशा बदलने से इन्कार करेंगे और संसारिक प्रकाश के अनुसार चलेंगे, वे क्षतिग्रस्त जहाज के समान नाश होगें। ''क्योंकि यहोवा कहता है, मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं है, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है। क्योंकि मेरी और तुम्हारी गति में और मेरे और तुम्हारे विचारों में, आकाश और पृथ्वी का अन्तर है।''
सुलैमान ने सही कहा, ''ऐसा भी मार्ग है, जो मनुष्य को सीधा देख पडता है, परन्तु उसके अन्त में मृत्यु ही मिलती है।''
यदि हम परमेश्वर के राज्य के बन्दरगाह पर सुरक्षित पहुँचना चाहते है तो हमें ध्यानपुर्वक अपनी दिशा को निर्धारित करने की आवश्यकता है, क्योंकि यीशु ने कहा,'' जो मेरे पीछे हो लेगा, वह अन्धकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा।''
यदि हम अपने महत्व से इतने प्रभावित है, और इतने अधिक अहंकारी है कि हम नम्र होकर अपने आप को परमेश्वर के हाथ में नही सौंपते है, और हमने अपने मार्ग इस प्रकार निर्धारित कर लिये है कि हम अपने जीवन की दिशा को नही बदलते है, तो हम समुद्र में डूबकर समाप्त हो गये है।यशायाह दुष्टो का विवरण इस प्रकार करता है, ''परन्तु दुष्ट तो लहराते हुए समुद्र के समान है जो स्थिर नही रह सकता; और उसका जल मैल और कीच उछालता है।''
पौलुस हमारे विषय में कहता है, ''अब हमें दर्पण में धुंधला सा दिखाई देता है।'' हम हमेशा अपने चारों ओर फैले कोहरे या सांसारिक प्रदूषण के कारण आगे आने वाली चीजों को नही देख पाते, लेकिन हम इसको भेदकर आने वाली प्रभु यीशु मसीह की रोशनी को देख सकते है, यदि हम ''विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर ताकते रहें; जिस ने उस आनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्जा की कुछ चिन्ता न करके, क्रूस का दुख सहा; और सिहांसन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा।''
यशायाह ने हमसे प्रतिज्ञा की कि ''जब कभी तुम दाहिनी वा बाई ओर मुडने लगो, तब तुम्हारे पीछे से यह वचन तुम्हारे कानों में पडेगा, मार्ग यही है, इसी पर चलो'' अपने पीछे आने वाले परमेश्वर के इन शब्दों के साथ और अपने आगे ''मार्ग, सच्चाई, और जीवन'' के रूप में चलने वाले प्रभु यीशु मसीह के साथ, आओ ''हम निशाने की ओर दौड चलें, ताकि वह इनाम पाये, जिसके लिए परमेश्वर ने हमें मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है।''
‘लाईटहाऊस’ (The Lighthouse) is taken from ‘Minute Meditations’ by Robert J. Lloyd
बाईबिल एक विशेष पुस्तक क्यों है?
(a) बाईबिल ही केवल एकमात्र पुस्तक है जो हमें, परमेश्वर के विषय में, प्रभु यीशु मसीह के विषय में और उद्धार के विषय में सच्चा ज्ञान देती है। (इब्रानियों 1:1-2; भजन संहिता 138:2; 2 तीमुथियुस 3:16; भजन संहिता 119:160)
(b) बाईबिल उन लोगों के द्वारा लिखी गयी जो परमेश्वर की पवित्र आत्मा से प्रेरित थे। (2 पतरस 1:21; 1 पतरस 1:11; इब्रानियों 1:12)
(c) जो लोग बाईबिल पर विश्वास करते है और इसकी शिक्षाओं के अनुसार जीवन बिताते है, वे अनन्त जीवन के अधिकारी होंगे, बाईबिल ऐसा वायदा करती है। (यूहन्ना 17:3; रोमियों 2:7; 2 पतरस 1:11)
दुष्टात्मा और शैतान: पुराना नियम
The Devil and Satan: Old Testament
यहां हम पवित्र शास्त्र में वर्णित दुष्टात्मा (Devil) और शैतान (Satan) से सम्बन्धित पदों को देखेंगे। हम देखेंगे कि ये दोनों एक नही है, और हम देखेगें कि नये नियम में प्रयोग किये गये शब्दो को पुराने नियम में अलग तरह से प्रयोग किया।
मुख्य पद: 1 इतिहास 21:1-8
यह घटना दाऊद राजा के अन्तिम समय के लगभग की है। शैतान ने दाऊद को इस्राएल के लोगों की गिनती लेने के लिए उकसाया। इसलिए दाऊद ने इस्राएल के सेनापति योआब को इस्राएल के सभी लोगों की गिनती लेने के लिए कहा। ऐसा करने के कारण परमेश्वर दाऊद से नाराज हो गया। योआब जानता था कि इस्राएल की गिनती लेना गलत था, और उसने कार्य को पूरा नही किया।
- दाऊद ने क्या गलत किया? (भजन 33:16 देखें।)
- इसी घटना को 2 शमूएल 24:1-10 में पढें। यहां हमें क्या नयी चीज सीखने को मिलती है?
- क्या आप इन दोनों सन्दर्भो के बीच के अन्तर का वर्णन कर सकते है?
- शैतान कौन था?
शैतान (Satan)
शैतान, इब्रानी (Hebrew) भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ विरोधी है। अग्रेंजी भाषा के पुराने नियम में इसे "adversary" (विरोधी) अनुवादित किया गया है।
कभी-कभी यह विरोधी एक स्वर्गदूत या कोई ईश्वरभक्त व्यक्ति था। उदाहरण के लिए यदि देखें तो:
- गिनती 22:22 में एक स्वर्गदूत को शैतान कहा गया है।
- 1 शमूएल 29:4 में दाऊद को शैतान कहा गया है।
इन दोनों ही उदाहरणो में, अंग्रेजी भाषा की बाईबल में शैतान नही लिखा है क्योंकि इसको अनुवादित कर दिया गया है। 1 इतिहास 21:1 में परमेश्वर को शैतान लिखा गया है क्योंकि परमेश्वर दाऊद का विरोध कर रहा था। यहां अनुवादको ने इस शब्द को बिना अनुवाद किये छोड दिया है। यहां दाऊद के लिए परमेश्वर शैतान या विरोधी है क्योंकि परमेश्वर दाऊद की परीक्षा कर रहा था।
अब यदि हम दूसरे पदों में देखें तो वहां कोई ईश्वरभक्त व्यक्ति विरोधी नही था। उदाहरण के लिए यदि देखें तो:
- एदोमी हदद और सिरिया का राजा रजोन, सुलैमान के लिए शैतान थे (1 राजा 11:14,23) क्योंकि इन्होंने इस्राएल के विरूद्व सेनाओं को खडा किया।
- भजन 38:20 में दाऊद के शत्रुओ को शैतान कहा गया है।
इन उदाहरणों में फिर से शैतान शब्द को अनुवादित कर दिया गया है।
अय्यूब की पुस्तक के अध्याय 1 व 2 में, शैतान शब्द को अनुवादित नही किया गया है। शैतान (विरोधी) परमेश्वर के सम्मुख आता है और यह दावा करता है कि अय्यूब इसलिए धर्मी है क्योंकि उस पर परमेश्वर की आशीष है। वह कहता है कि यदि अय्यूब पर कष्ट आयेगा तो वह धर्मी नही रह पायेगा। तब अय्यूब पर विपत्ति आती है और उसकी सम्पूर्ण धन सम्पत्ति नष्ट हो जाती है और उसकी दस सन्तानो की मृत्यु हो जाती है और उसको एक भयंकर त्वचा का रोग लग जाता है। ये सब विपत्तियाँ परमेश्वर के द्वारा ही अय्यूब पर डाली गयी। इसलिए, यद्यपि शैतान अय्यूब को कष्ट देना चाहता था लेकिन परमेश्वर ने उसकी सलाह पर यह कार्य किया। शैतान में स्वंय इतनी सामर्थ नही थी कि वह यह कर पाता- परमेश्वर ने उसको सामर्थ दी। (देखें अय्यूब 2:3; 19:21; 30:21; 42:11; आदि।)
तो इस घटना में कौन अय्यूब का विरोधी है? हम नही जानते। शैतान जो भी था उसको यह सन्देह था कि अय्यूब कष्टो में विश्वासी नही रह पायेगा। जब शैतान ने अय्यूब के विषय में परमेश्वर से शिकायत की तो, परमेश्वर ने अय्यूब के विश्वास और धार्मिकता को जांचने का निर्णय लिया।
दुष्टात्मा (Devil)
किंग जैम्स वर्जन (King James Version) बाईबल के पुराने नियम में "Devil" शब्द केवल चार बार आया है (लैव्यव्यवस्था 17:7; व्यवस्थाविवरण 32:17; 2 इतिहास 11:15; भजन 106:37)। उदाहरण के लिए यदि किंग जैम्स वर्जन (King James Version) के लैव्यव्यवस्था 17:7 को देखें तो-
"और वे जो दुष्टात्माओं (Devils) के पूजक होकर व्यभिचार करते है, वे फिर अपने बलिपशुओं को उनके लिए बलिदान न करें।"
जबकि दूसरे अनुवाद की बाईबल में इसे अलग तरह से अनुवादित किया गया है-
लैव्यव्यवस्था 17:7 को न्यू इण्डियन वर्जन (New Indian Version) में इस तरह से लिखा गया है-
"और वे जो बकरों (Devils) के पूजक होकर व्यभिचार करते है, वे फिर अपने बलिपशुओं को उनके लिए बलिदान न करें।"
ये बकरियों के समान रोयेदार मूर्तिया थी। अग्रंजी के रिवाइज्ड स्टैण्डर्ड वर्जन (RSV) में इन्हें 'satyrs' कहा गया है। इनके लिए चाहे कोई भी नाम प्रयोग किया गया हो, ये दुष्टात्मायें (Devils) साधारण मूर्तिया थी, जिनकी इस्राएल के आसपास के राष्ट्र पूजा करते थे। इनका नये नियम की दुष्टात्माओं (Devil) से कोई सम्बन्ध नही है।
कुछ सम्बन्धित पद
वे पद जिनमें 'शैतान' को अनुवादित किया गया है:
गिनती 22:22; 1 शमूएल 29:4; 2 शमूएल 19:22; 1 राजा 5:4; 11:14,23: भजन 38:20।
वे पद जिनमें 'शैतान' को अनुवादित नही किया गया है:
1 इतिहास 21:1; अय्यूब 1 और 2; जकर्याह 3:1-2।
दुष्टात्मायें (devils) (KJV):
लैव्यव्यवस्था 17:7; व्यवस्थाविवरण 32:17; 2 इतिहास 11:15; भजन 106:37।
लूसिफर (Lucifer)
जहां शैतान को अनुवादित नही किया गया है उसको कुछ लोग ऐसा मानते है कि यह शैतान एक दुष्ट स्वर्गदूत है जिसका नाम लूसिफर है और जिसने आदम के समय में पाप किया। वे कहते है कि उसी समय से यह लोगों को पाप करने के लिए परीक्षा में डालता है। यह लूसिफर नाम यशायाह 14:12 (KJV) से आया जहां लिखा है कि ''तेरा स्वरूप भोर के तारे (Lucifer) सा था, किन्तु तू आकाश के ऊपर से गिर पडा।''
सम्पूर्ण बाईबल में केवल इसी अध्याय में शब्द लूसिफर (Lucifer) लिखा है और बाईबल के नये अनुवादो में यह नही मिलता है। यदि आप इसी अध्याय (यशायाह 14) के पद 4 को पढे तो पता चलता है कि यह अध्याय बाबुल के राजा के विषय में है, पद 16 और 17 में भी उसे एक 'व्यक्ति' कहा गया है - कोई गिराया गया स्वर्गदूत नही है।
लूसिफर का अर्थ ''भोर का तारा'' या शुक्र ग्रह (Venus) है जो भोर होने से पहले आकाश में सबसे अधिक चमकता है। वास्तव में आधुनिक अनुवादो में इसे 'भोर का तारा' (morning star) अनुवादित किया गया है। बाबुल का राजा एक बहुत ही अहंकारी और अपने आप को परमेश्वर के तुल्य समझने वाला राजा था। उसने कहा, ''मैं सर्वोच्च परमेश्वर सा बनूंगा'' (पद 14) वह शुक्र ग्रह (Venus) के समान स्वर्ग में चढने की इच्छा रखता था, न कि वह हराकर पृथ्वी पर गिराया गया।
यहेजकेल पुस्तक अध्याय 28 भी इसी के समान है जो कि सोर के राजा के विषय में है।
सारांश
- शैतान एक इब्रानी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ विरोधी है।अधिकांशत: यह इसी प्रकार अनुवादित किया गया है। लेकिन जब यह अनुवादित नही किया गया है तो भी इसका अर्थ विरोधी ही है।
- पुराने नियम में दुष्टात्मा (devil) एक मूर्ति है जिसकी इस्राएल के आसपास के राष्ट्र पूजा करते थे।
विचारणीय पद
- भजन 109 पढें। दाऊद किस विषय में बात करता है?
- पद 4,6,20 और 29 में शैतान शब्द आया है। इन पदों में इसका क्या अनुवाद है? यहां विरोधी कौन है?
- इन विरोधियों के विषय में यह भजन क्या बताता है?
- यह भजन दाऊद की, उसके विरोधियों को दण्ड देने के लिए, परमेश्वर से प्रार्थना है। क्या दाऊद का इस प्रकार की प्रार्थना करना सही था? क्या हमें इस प्रकार की प्रार्थना करनी चाहिये?
अधिक जानकारी के लिए देखें
- बाईबल शब्दअनुक्रमणिका (concordance) का प्रयोग करके, पुराने नियम में आये ऐसे सभी पदों की एक सूचि तैयार करें जिनमें इब्रानी शब्द शैतान आया हो। अब देखें कि इन सभी पदों में विरोधी कौन है?
- हम इस बात का पता कैसे लगा सकते है कि यशायाह पुस्तक का अध्याय 14 और यहेजकेल पुस्तक का अध्याय 28 किसी पापी स्वर्गदूत के विषय में नही बता रहे है?
‘दुष्टात्मा और शैतान: पुराना नियम’ (The Devil and Satan: OT) is from ‘The Way of Life’ by Rob J. Hyndman
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